मधुमक्खी की इस नई प्रजाति से गयी लोगों की जान


1957 में मधुमक्खियों पर एक शोध किया जा रहा था।
ब्राजील के शहर रियो क्लोरो की एक लैब में डॉक्टर वारविक मधुमक्खियों पर यह शोध कर रहे थे। यूरोपियन मधुमक्खियों का शहद उत्पादन में बहुत कमी थी। इसीलिए डॉक्टर वारविक मधुमक्खियों के डीएनए में कुछ बदलाव करना चाहते थे। इसलिए साउथ अफ्रीका से मधुमक्खियां मंगवाई गई जिनका यूरोपियन मधुमक्खियों के साथ मेट करवाया गया ताकि वे भी ज्यादा शहद का उत्पादन कर सके । यह प्रयोग लैब एक कंटेनर के अंदर किया जा रहा था जिसे मधुमक्खियों के छत्ते पहले से थे । प्लान के मुताबिक सब कुछ सही चल रहा था और यह पूरा भी हो चुका था। इस प्रयोग से उत्पन्न प्रजाति को अफ्रीकन मधुमक्खियों का नाम दिया गया।
लेकिन डॉक्टर को उस समय कुछ अजीब महसूस हुआ जब उन्होंने अफ्रीकन मधुमक्खियों को यह व्यवहार में कुछ नए बदलाव देखें। उनके यह देखकर होश उड़ गए कि नहीं मधुमक्खी की इस प्रजाति में जरुर से ज्यादा आकर्षण ओर
आक्रामक है । इसी वजह से उन्होंने यह निर्णय लिया कि इस प्रजाति को कंटेनर से बाहर नहीं निकाल लेंगे लेकिन फिर वही हो गया जो वो नहीं चाहते थे लैब के एक कर्मचारी की गलती से वह मधुमक्खियां कंटेनर से बाहर निकलने में सफल हो गई।
डॉक्टर को खतरे का अहसास जब हुआ था इस नई नस्ल ने बाहर निकलते ही लोगों पर हमला कर दिया। इन मधुमक्खियों पर काबू पाना किसी के बस की बात नहीं थी क्योंकि वह जगह जगह फैल चुकी थी और उन्होंने अपना नया घर बना लिया था अब ब्राजील से होती हुई अमेरिका तक फैल गई । नई किसम की मधुमक्खियों ने अब तक 1000 लोगों की जान ले चुकी है । इसी वजह से यह मधुमक्खियां Killer Bees के नाम से भी पहचानी जाती है।
यह मधुमक्खियां सामान्य मधुमक्खियों से थोड़ी काले रंग की होती है और यह अपने सत्य की तरफ बढ़ने वाले किसी भी खतरे को 500 मीटर पहले ही बाप लेती है और उस पर हमला कर देती है। यह किसी पर हमले करने का ठान लेती है तो वह 1 किलोमीटर तक उसका पीछा नहीं छोड़ती । एक बात समान हैं तो वह है येभी इंसान को डंक मारने के बाद मर जाती है।
सोचने वाली यह बात है कि मधुमक्खी का डंक मारती ही क्यों है, लगभग सभी किस्म की मक्खियां तब हमला करती है जब उनको लगे कि उनके छत्ते को कोई खतरा है, यह प्रजाति ज्यादा आक्रामक होने की वजह से दूर से आने वाली किसी भी चीज या इंसान को छते तक पहुंचने से पहले हमला कर देती है लेकिन बात से बिल्कुल अनजान होती है कि जैसे ही डक मारेगी उनकी खुद की मृत्यु भी हो जाएगी। जिनकी मृत्यु की सबसे बड़ी वजह यह होती है कि इनका डंक छोरी वाले चाकू की तरह होता है जो इंसान इंसान की चमड़ी में फंस जाता है और बाहर नहीं निकल सकता । डंक मारने के बाद मधुमक्खियां धन को बाहर निकालने के लिए झूठ लगाती है पर यह इंसान की चमड़ी से नहीं कर पाता और उनके खुद के शरीर के अंदर से डंक कट जाता है जिसकी वजह से इनकी नसो और पेट के कुछ हिस्से डंक साथ ही उखड़ जाता और उनकी मृत्यु हो जाती है। जब कोई इंसान के छत्ते की तरफ बढ़ता है तो एक मधुमक्खी डंक मारती है बाद में पूरा झुंड इकट्ठा हो जाता है पर सोचने वाली बात की है कि एक मधुमक्खी के डंक मारने से पूरा झुंड को कैसे पता चलता है, दरअसल वैज्ञानिकों का मानना है कि जब मधुमक्खी डंक मारती है तो उनके शरीर से एक केमिकल निकलता है जिसे फेरोमोन कहा जाता है और जब फेरोमोन हवा में फैलता है तो दूसरी मधुमक्खियों को एक अलार्म की तरह संकेत देता है कि उन पर हमला हुआ है। इसलिए जब आपको एक मधुमक्खी डंक मारती है तो आपको उस जगह को छोड़कर जल्द से जल्द भाग जाना चाहिए। जान लीजिए कि मधुमक्खी का डंक कितना खतरनाक होता है हमारे शरीर में प्रवेश करता है तो एक टॉक्सिन मेल्टिंग नाम का पदार्थ छोड़ देता है, जैसे यूट्यूब से हमारे शरीर में फैलता है हमारी शरीर का डिफेंस सिस्टम से लड़ने के लिए तैयार हो जाता है और इसी वजह से जिस जगह मधुमक्खी डंक मारती है वह जगह सूज कर लाल हो जाती है।