क्या है श्रावण मास:-2022 का महत्व आइये जानते है इस बारे में


भगवान की आराधना
चतुर्मास कि शुरुआत सावन महीने से होती है। पूरे महीने सावन में व्रत उपवास किये जाते है। श्रावण के अंतिम दिन पूर्णिमा को रक्षाबन्धन का त्यौहार मनाया जाता है।
दाम्पत्य जीवन में खुशहाली
श्रावन मास में भगवान विष्णु को श्रीधर के रुप मे पूजा जाता है। भगवान शिव के साथ विष्णु का भी अभिषेक किया जाता है। इससे दाम्पत्य जीवन मे खुशहाली आती है।
खान पान का विशेष महत्व
श्रावण मास में दूध से बनी चीजों दूध, दही, छाछ आदि का सेवन वर्जित माना गया है।


इस मास में एक समय भोजन करना अच्छा माना गया है। एक समय फलाहार भी किया जा सकता है। श्रावण मास में सात्विक भोजन का विशेष महत्व बताया गया है।
श्रावण मास में दिन में नींद लेने को भी वर्जित माना गया है।
शिव आराधना का महत्व


श्रावण माह को भगवान शिव का सबसे प्रिय माह माना जाता है इस महीने में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है।
पूरे महीने घरों व मन्दिरों में शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। कहा जाता है कि चतुर्मास में भगवान विष्णु निंद्रा योग में चले जाते है। और सम्पूर्ण सृष्टि का संचालन महादेव करते है। माना यह भी जाता है कि भगवान शिव कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर आकर रहने लगते है।
इसलिए यह मान्यता है कि भगवान महादेव की विशेष पूजा अर्चना करने से भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते है। सभी भक्तों की मनोकामना पूर्ण करते है।
शिव पूजा का सामान्य तरीका
भगवान शिव की आराधना का श्रावण मास में अधिक महत्व है। इस मास में प्रत्येक दिन विशेष पूजा अर्चना की जाती है।लोग घरों या मन्दिर में जाकर पूजा करते है।
सामान्यतः भगवान भोलेनाथ की पूजा करने के किसी भी मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक किया जा सकता है। या घर पर भी शिवलिंग की व्यवस्था हो तो घर पर आराधना की जा सकती है। जलाभिषेक के साथ दुग्ध, दही, घी, शहद का उपयोग किया जाता है। साथ में शिव को बिल्वपत्र, भांग,धतूरा, आक आदि के पत्ते व फूल अर्पित किये जाते है।