क्या समुन्द्र में टाइटैनिक के मलबे की आज भी होती है निगरानी

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आखिर क्यों 110 साल के बाद भी टाइटैनिक के मलबे को बाहर क्यों नहीं निकाला गया। टाइटैनिक के डूबने की एक वजह उसको बनाने में उपयोग किए गए सामान को घटिया बताया गया था । लेकिन 2010 में एक प्रोजेक्ट शुरू हुआ।


इस प्रोजेक्ट में लाखों डॉलर हाई डेफिनेशन कैमरों ओर आधुनिक रोबोट से वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिक महासागर में रडार से स्कैन करके 15 किलोमीटर का एक मैप बनाया जिससे 150000 फोटोस और वीडियो कट्ठा करके टाइटैनिक की हर एक छोटे मलबे को जोड़कर उन्होंने गहन अध्ययन किया । 2 साल की कड़ी मेहनत के बाद शोधकर्ताओं ने टाइटैनिक क्या एक वर्चुअल मॉडल तैयार किया और इसके डूबने की असल वजह जानने की कोशिश की। दसवीं विज्ञान निकॉन यह साबित कर दिया कि टाइटैनिक के डिजाइन और उसको बनाने में इस्तेमाल किया गया मटेरियल उच्च गुणवत्ता का था। टाइटैनिक डूबने में उसके डिजाइन या उसके मेटेरियल का कोई रोल नहीं था।

क्या आप भी जानते है टाइटैनिक के ये रहस्य ?
उस दिन डूबने की सबसे बड़ी वजह यह थी कि वह जहाज फुल स्पीड में था और कैप्टन ने यह बात अनदेखी कर दी।
सवाल यह उठता है कि इसे बाहर क्यों नहीं निकाला ?
आज टाइटेनिक का मलबा का कनाडा के न्यूफाउंडलैंड से दूर 600 किलोमीटर 4 किलोमीटर नीचे गहराई में दबा हुआ है।
इसको ढूंढने का प्रयास एक अच्छे से हो रहा है लेकिन कामयाबी 1985 में मिली उसके बाद 700 से ज्यादा गोताखोर इस मलबे के पास जा चुके हैं।
दरअसल टाइटैनिक के मलबे को ढूंढने में हमने बहुत समय बर्बाद कर दिया था।

क्या आप भी जानते है टाइटैनिक के ये रहस्य ?

जब 1985 में हमें टाइटेनिक का मलबा मिला था उस वक्त तक बैक्टीरिया ने उसे बहुत बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया था और वह मिट्टी में मिलने लगा था।
और अगर स्वार्थ से बाहर निकालने की कोशिश की जाती हम टाइटैनिक की आखिरी निशानी भी खो देते क्योंकि वह टूट सकता था ।


और इसके साथ ही हम उन 1500 लोगों की यादे वी खो देते हैं जो टाइटैनिक के साथ समंदर के अंदर दफन हो गए थे।
इसके बाद 2001 में फैसला लिया गया कि टाइटैनिक के मलबे को यूनेस्को के स्मेलन द्वारा सुरक्षित रखा गया है ।
आधुनिक रोबोटों से इसकी 24 घंटे निगरानी होती है।

जिससे कि कोई गैर सरकारी या किसी अन्य समुदाय द्वारा उसको कोई नुकसान ना पहुंचाया जाए ।

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